राजा आनंद चंद ने किए बिलासपुर में कई नाटक निर्देशित हाथी-थान में बनाई गई थी रंगशाला
कहलूर रियासत के अंतिम राजा आनंद चंद बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे ।वे अजमेर के म्यो कालेज में पढे़ हुए थे ।तथा अखिल भारतीय नरेंद्र मंडल के सचिव भी थे। उन्होंने अपने समय में गोविंद सागर झील में डूबे पुराने बिलासपुर शहर में कई ऐतिहासिक सामाजिक नाटकों का मंचीकरण करवाया था ।इसके लिए उन्होंने कहलूर रियासत के उस हाथी थान को रंगशाला में बदला था, जिस हाथी थान में कभी राजाओं के हाथी बंधा करते थे या रखे जाते थे ।राजा आनंद चंद ने वहां पर रंगशाला बनवाई ।यही रंगशाला बाद में सिनेमा हॉल में परिवर्तित हो गई थी ।जिसका नाम कहलूर टॉकीज रखा गया था ।हां, तो राजा ने नाटकों के मंचीकरण के लिए बिलासपुर में कहलूर कल्चरल लीग नाम की एक संस्था भी बनवाई थी ,जो नाटकों की ट्रेनिंग देती थी ।शक्ति सिंह चंदेल अपनी पुस्तक कहलूर थ्ररु दा सेंचरीज़ में लिखते हैं कि राजा आनंद चंद के समय हर स्कूल का रियासत काल में अपना एक ड्रामा ग्रुप होता था। हर स्कूल अपने अपने नाटक का मंचीकरण करता था ।राजा की तरफ से पुरस्कार भी दिए जाते थे। 1938 .39 में राजा ने जब अपने नए महल का उद्घाटन करना था, तो उस समय मंडी के राजा जोगेंद्र सेन को चीफ गेस्ट बुलाया गया था। तब उस समय राजा ने उनके मान-सम्मान में बिलासपुर की रंगशाला में जिस नाटक का मंचीकरण करवाया उसका नाम था ....पन्नाधाय ।मास्टर भगवानदास ,रमेश चंद, सरदार सोहन सिंह आदि ने इस नाटक में अभिनय किया था। यह नाटक इतना सफल हुआ था कि इसने सारे बिलासपुर में हलचल सी मचा दी थी। राजा ने 7 सालों में 10 नाटक करवाए थे ।जिनमें अंग्रेजी का नाटक चांदबीबी भी था ।राजा आनंद चंद ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले नाटकों के मंची करण के लिए अधिक महत्व देता था। इन नाटकों में प्रताप प्रतिज्ञा, रक्षाबंधन ,शिवासाधना, परीक्षा सत्यवादी हरिश्चंद्र ,अंधेर नगरी चौपट राजा ,शाहजहां, नील देवी ,मित्र ,भारत दुर्दशा आदि शामिल हैं। हमने बड़े बूढ़ों से सुना है कि मंच पर जब औरंगजेब के एक पात्र ने किसी दूसरे पात्र पर दहाड़ा था तो उससे पेशाब हो गया था। तब राजा ने उन दोनों एक्टरों को बाद में बुलाया था ।वे दोनों घबरा गए थे ।राजा ने उन दोनों को शाबाश देते हुए कहा कि आपने नाटक की गंभीरता के मुताबिक बहुत ही अच्छा अभिनय किया है ।औरंगजेब का दहाड़ना और दूसरे आदमी का भयभीत होना सचमुच इस नाटक में जान डाल गया है। राजा आनंद चंद के स्कूल ऑफ ड्रामा से मास्टर चिंत राम जैसे मशहूर एक्टर भी निकले थे ।जिन्होंने वर्षों तक बिलासपुर की रामलीला और राम नाटक में कई सशक्त किरदारों का अभिनय किया था।
Comments
Post a Comment