कविता - कोई मुझ से पूछे
कोई मुझ से पूछे
नालयां का नौण ,किरपु का घराट
तबत्तन का बाजार, बाजार में नवाज
लगाता था आवाज.. हर माल दो आने
हर माल दो आने.दो आने
झील में डूबे मेरे शहर की पहचान
कोई मुझ से पूछे..कोई मुझ से पूछे
सतलुज में अलीखड्ड का मिलना
लगता था मां बेटी का हो रहा मिलना
चंपावती का संगम और पांच पीपलू
श्मशान घाट का वह बूढा़ सा साधु
झील में डूबे मेरे शहर की पहचान
कोई मुझसे पूछे, कोई मुझसे पूछे
मोहन की फांसी का राज़
बेड़ीघाट की रौनक, आती है याद
गोहर बाजार खाखी शाह की महफिलें
खड़यालू में मंजलसी की दुकान
धनिए की भूनी मछली की खुशबू
लक्खु के पड्डू का मांस और
बाघल की झिंझन के भात का स्वाद
झील में डूबे मेरे शहर की पहचान
कोई मुझसे पूछे, कोई मुझसे पूछे
लेहरू का चना चबीना और
रंगनाथ के पास लूंदा बच्चों को देना
झील में डूबे मेरे शहर की पहचान
कोई मुझसे पूछे, कोई मुझसे पूछे
हनुमान की बड़ सांढू का मैदान
नलवाड़ी के मेले में बैलों की शान
राजा के महल गोपाल जी का मंदिर
मस्त बाबा का धूना चबडियां का बाग
सोहडों के कुएं के शीतल जल का स्वाद
कोई मुझसे पूछे, कोई मुझसे पूछे
चौंते के नौण में छलांग लगाते तैराक
साइकिल वाले बोले कि दुकान और
पुस्तक धाम
पट्ठे का फेर, बाबा बंगाली की तस्वीर और
पुडां के खट्टे मिट्ठे बेर
पौं पौं करती सिंडीकेट ,पीछे दौड़ते छोकरे
सिंडीकेट मंजे हेठ ,तू मेरी भाभी मैं तेरा जेठ
छोकरों कि हंसी ठिठोली की बातें
कोई मुझसे पूछे ,कोई मुझसे पूछे
गंभरी का नाच,पिस्तू के दांवपेच
मनोहरु का स्टूडियो ,रोशन पंसारी की दुकान
साहनी के पान ,प्रहलाद दास की शान
रतनू हलवाई के पकौड़े ,
रामू बोटी के दही भल्ले
बड़मैलियों के चाकचौवारे
पोखर पर ऊंटों की जुगाली
व्यापारियों का धमाल
मस्तराम निरक्षर के गोपाल बैडे की शान
झील में डूबे मेरे शहर की पहचान
कोई मुझसे पूछे ,कोई मुझसे पूछे।
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