कहलूर रियासत के अंतिम राजा आनंद चंद का 1946 का भाषण...
15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ था। उससे एक साल पहले यानी वर्ष 1946 में कहलूर रियासत के अंतिम राजा आनंद चंद के मन में क्या चल रहा था...... इसका पता लगाते हैं ...राजा के उस भाषण से जो राजा ने विक्रमी संवत 2003 को बजट पेश करते हुए दिया था। लगभग 74 साल पहले दिये गए इस भाषण को दिल्ली प्रेस ,नई दिल्ली से एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित कराया गया था। 26 पृष्ठों की इस पुस्तक में बिलासपुर राज्य के सूचना विभाग के उप मंत्री भूमिका में लिखते हैंं.... आज जबकि भारत एक स्वाधीन देश बनने जा रहा है, यह अत्यावश्यक प्रतीत होता है कि उस में स्थित देशी राज्यों के प्रश्न का वाहया जनता को पूरा परिचय मिले। हमारे श्रीमन्हाराज ने अपने संवत 2003 के बजट दरबार के भाषण में इस समस्या पर बहुत प्रकाश डाला है और कहलूर की वर्तमान स्थिति को प्रक्ट करते हुए भविष्य में एक स्वाधीन भारत के अंदर देसी राज्यों के उपयुक्त स्थान को खोज निकालने का प्रयत्न किया है ।उनके इसी भाषण को हम पाठकों के सम्मुख रखते हुए आशा करते हैं कि वे इससे उचित लाभ उठाएंगे ।। उप मंत्री
सूचना विभाग
बिलासपुर राज्य
१२ज्येष्ठ सं २००३ वि.
संवत 2003 विक्रमी के बजट दरबार में श्री महाराज का भाषण
कोई चौदह महीनों के पश्चात मैं यह चौदहवींं बजट आपके सम्मुख रखने जा रहा हूं भारत वर्ष तथा संसार ने इन 14 मासों में क्रांतिकारी परिवर्तन देखे हैं जिसका असर हमारे राज्य पर पडे़ बगैर नहीं रह सकता ।ऐसे ऐसे परिवर्तन जो 150 वर्ष के पश्चात हमारी जन्मभूमि को स्वतंत्रता के द्वार पर खड़ा कर गए हैं।
संवत 2002 ने संसार के महायुद्ध का अचानक अंत देखा ..........जर्मनी का भाग्य हिटलर के साथ ही सो चुका है और उधर जापान के विश्व विजय के स्वपन परमाणु बंम्ब द्वारा हिरोशिमा में नष्ट भ्रष्ट हो चुके हैं ।परंतु साथी राष्ट्रों की इस गौरवमई विजय ने अब भी संसार के अंदर उन चारों स्वतंत्रताओं को नहीं आने दिया जिनके आधार पर ही विश्व संघ का निर्माण हुआ है। अब भी हमारे चारों ओर आवश्यकता और भय के बादल छाए हुए हैं और अकेले भारत को ही अन्न के संकट से अपने लाखों पुत्रों की बलि देनी होगी ।ईधर हमारे चारों ओर अशांति छाई हुई है और हिंदू मुस्लिम का विरोध चरम सीमा को पहुंच गया है ।आतंक इतना है कि शहरों में हर मोहल्ले में आपस के गृह.युद्ध का भय लोगों को सोने नहीं देता और वही लोग जो कल तक पड़ोसियों के रूप में एक दूसरे से मित्र भाव रखते थे ,आज एकाएक बेगाने से जान पड़ते हैं ।.....।।मैंने गत वर्ष के भाषण में आपको बताया था कि राज्य ने युद्ध के अंदर पूर्ण शक्ति को लगा दिया है और आपके सहयोग से हम संसार में यह प्रकट करना चाहते हैं कि कहलूर के वीर संसार को अमानुषता से बचाने के लिए किसी से पीछे नहीं रहेंगे। गत वर्ष इसी लड़ाई में हमारे बहादुरों ने जो और कारनामे दिखाए अब वह भी प्रकट हो चुके हैं और सबसे उल्लेखनीय लायस नायक कृपा राम 8वीं बलूच रेजिमेंट की गौरव गाथा है ।जिसे दरबार ने हाल ही में दुख और अभिमान से आप पर प्रकट किया था। इस कहलूरी वीर ने दक्षिणी भारत में अपनी टोली के अन्य सिपाहियों को जलते बम्ब से बचाने के लिए स्वयं आगे बढ़कर बम्ब को हाथ में उठा लिया। जिससे वह वीरगति को प्राप्त हुआ। भारत के जंगी लाट ने कृपाराम के साहस का उल्लेख करते हुए अपने संदेश में लिखा है.....
उसका यह कार्य रेजीमेंट को चिरकाल के लिए प्रोत्साहित करता रहेगा ।
मैं कहलूर निवासियों की ओर से इसमें केवल इतना ही कहना चाहता हूं कि हम लोग अगर मारना जानते हैं तो मरना भी जानते हैं और कृपाराम के अपूर्व बलिदान से आज भपराल गांंव ही धन्य नहीं हुआ बल्कि सारा कहलूर धन्य हो गया। उसकी विधवा स्त्री के प्रति हमारा कर्तव्य है ।उसे राज्य पूर्णतया निभाएगा और मैं इस अवसर पर आपको, भपराल गांंव को तथा स्वर्गीय कृपाराम के परिवार को और इस वीर को जार्ज क्राश के प्रदान पर बधाई देता हूं। स्मरण रहे कि भारतीय सेना द्वारा जीता गया यह पांचवा चार्ज क्राश है ।यही नहीं अन्य वीरों ने भी गत वर्षो के संग्राम में बहुत से पदक पाए हैं। इसमें हमारे तीन हजार सैनिकों की टुकड़ी कोई 22 ऐवार्ड ले चुकी है। जिसमें एक वि सी विक्टोरिया क्रास, एक जी सी,चार आई ओ एम,छह एम.सी तथा दुसरे आई डी एम सी और ऐम.ऐम हैं।क्या यह इस बात का सूचक नहीं है कि कहलूर छोटा सा देश वीरों से खाली नहीं और कहलूर। भूमि वास्तव में वीरप्ररसु है। पर लड़ाई में अच्छा काम कर दिखाने पर ही किसी देश की बडा़ई नहीं हो सकती। 6 वर्ष के विश्वव्यापी युद्ध को जीतकर भारतीय वीर बड़ी शान से अपने घरों को वापस आए। परंतु यहां उन्होंने क्या पाया ।उन्होंने पाया एक अशांत और पराधीनता के बंधनों को काटने के लिए उत्सुक भारत ....ऐसा भारत जो लड़ाई के दुखों को सहकर भी क्रांति के लिए प्रकट रूप से तैयार था..? ऐसा भारत जो संसार में अपनी महानता दिखाने के लिए उतावला हो रहा था.........।
राज्य में भूमि संबंधी अनेकों विधान बनाकर सैनिकों के लिए भूमि का दिया जाना आसान कर दिया है.... लावारिस तथा नौतोड़ जमीन अभी तक सैनिकों के सिवाय दूसरों को नहीं मिल सकेगी.... जहां तक अन्न की समस्या है हम उस पर काबू पाने का भरसक प्रयत्न कर रहे हैं..... आपको यह जानकर हर्ष होगा कि 1 वर्ष के निरंतर प्रयत्न से हम ने वस्त्रों की प्राप्ति के बारे में विजय प्राप्त कर ली है। अब बिलासपुर को कपड़ा दिल्ली की मार्केट से मिल सकेगा और उसका पर्याप्त मात्रा में आना आरंभ भी हो गया है। आजाद हिंद फौज के बारे में भी कुछ कहना है ।इस सेना में कहलूर के बहुत से वीर सम्मिलित हुए थे जो अब घरों को लौट आए हैं। कहलूर वासियों के हृदय में इनके प्रति कोई भी घृणित भाव नहीं है.... हाल ही में पता चला है कि भारत सरकार फौजियों के उस फंड से रुपया देगी जो सेना में भर्ती के आधार पर खोला गया था ।यह रुपया सैनिकों की भलाई की स्कीमों पर खर्च किया जाएगा..... ₹2 प्रति माह प्रति सैनिक के हिसाब से बिलासपुर को मिलने वाली रकम कुछ लाख बन जाएगी और हम इस बारे में भारत सरकार से लिखा पढ़ी कर रहे हैं..... इसके अलावा फौजियों की उन्नति के लिए और भी स्कीमें दरबार के सम्मुख है.... इसके लिए एक सराय राजधानी में बनाई जा रही है और एक एंप्लॉयमेंट ब्यूरो खोला गया है जो नौकरी पाने में मदद देगा ...इसके अलावा सोल्जर बोर्ड में रिहैबिलिटेशन ऑफिसर की एक नई आसामी रखी गई है ।यह पूरे तौर पर ध्यान देगी...... मुझे विश्वास है कि सफलता मिलेगी...? पिछली सर्दियों में प्रांतों में जो चुनाव हुए उनसे स्पष्ट हो गया कि भारत के अंदर केवल दो ही राजनीतिक दल हैं..... एक कांग्रेस दूसरी मुस्लिम लीग..... जहां कांग्रेस को बहुदा हिंदुओं का नेतृत्व उपलब्ध है वहां लीग निश्चय ही मुसलमानों की प्रतिनिधि है और आज इन्हीं दलों के नेता ब्रिटिश सरकार से शासन सत्ता को छीनने के लिए शिमला में प्रयत्नशील हैं..... मैं यहां पर यह खोलकर बतला देना चाहता हूं कि यह लोग जो आप भी यह स्वपन देखते हो कि भारत को स्वतंत्रता ना मिलेगी .....वास्तव में गहरी नींद में है और उनको ऐसे समय जाग आएगी जब हाथ मलने के सिवाय कोई चारा ना रहेगा ....भारतीय नरेशों को भी इस स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना है ....पर प्रत्यक्ष है कि यह भाग भारतीय राजनीतिक दलों की नीति से कदाचित भिन्न होगा..... इस बारे में मुझे कैबिनेट मिशन से 4 अप्रैल को मिलने का अवसर प्राप्त हुआ था और देसी राज्यों की समस्या की रूपरेखा जो मैंने उनके सम्मुख रखी थी उसका एक मोटा सा नक्शा मैंने इस भाषण के साथ नत्थी कर दिया है ....उसके पढ़ लेने से आपको ज्ञात होगा कि आज राज्यों के अंदर कितने दूरदर्शी और समय को समझने वाले शासकों की आवश्यकता है ...।
हम लोगों की स्थिति आने वाले भारत में क्या होगी...?.. भारत में यद्यपि अनेकों राज्य है ।परंतु वस्तुतः चेंबर ऑफ प्रिंसेस अथवा नरेंद्र मंडल के केवल 140 सदस्य हैं... यह सदस्य हमारे देश के प्रत्येक भाग में स्थित राज्यों के नरेश हैं और मुख्यतः छह भागों से आते हैं ...न 1 राजपूताना 2 मध्य भारत 3 पंजाब 4 काठियावाड़ और गुजरात 5 दक्षिण भारत 6 पूर्वीय भारत ःःःःयह भारतीय राज्य कुछ तो बहुत बड़े हैं और कुछ बिल्कुल ही छोटे हैं .....।
अब मैं भावी भारत में बिलासपुर के स्थान को ढूंढने की कोशिश करूंगा .....।
हमारा देश वास्तविक रूप से छोटा है.... इसका क्षेत्रफल 450 वर्ग मील, जनसंख्या 1,10000 तथा इस वर्ष की आय 7:45 लाख है। परंतु छोटा होते हुए भी बहुत पुराना है ।हम और आप बारह सौ वर्षों से निरंतर कहलूर की एकता और अखंडता को कायम रखते हुए चले आए हैं .....हम पर मुसलमानों के आक्रमण हुए... तथा बाद में सिखों ने चारों ओर से घेरा डाला.. परंतु कहलूर वासियों की भुजाओं ने इन प्रबल शत्रुओं को राज्य में घुसने ना दिया ।पड़ोसी राज्यों की तो बात ही क्या है .....कांगड़ा, मंडी, सुकेत भी बीसियों बार कहलूरी वीरों की तलवारों का लोहा मान चुके हैं ....प्रबल मुगल साम्राज्य में भी कहलूर उन 15 राज्यों में से एक था ,जिसने मुगल बादशाहों को कोई कर नहीं दिया बल्कि अंग्रेजों के आने से पहले शिमले की अनेकों पहाड़ी रियासतों के राजा हमारे करद नरेश थे... पड़ोस का नालागढ़ राज्य तो 12 वीं शताब्दी में हमारे ही मुल्क से निकला है ...तो इस सब का अर्थ याह हुआ कि हम लोगों को स्वाधीन भारत में एक स्वाधीन कहलूर चाहिए......... परंतु प्रजा मंडलों का उद्देश्य इससे भिन्न है ।
अब मैं बजट की ओर आपका ध्यान आकर्षित करूं ....संवत 2001 ...इस वर्ष की कुल आय $5,58000और खर्च ₹5,60000 हुआ।
संवत 2002 ....पिछले वर्ष मैंने आपको बताया था कि आय का अनुमान ₹6,47000 का और व्यय 6,60000 है परंतु असल में आए 5,99000 ही रही और व्यय
छह लाख 20 हजार के करीब हुआ। इस प्रकार आए से कोई व्यय बढ़ गया ।
संवत 2003..... इस वर्ष आये 7,72000 और व्यय 7,12000 का अनुमान है ।यह पहली बार है जबकि राज्य की आय ₹700000 से ऊपर पहुंची है। इसमें आय के मुख्य साधन निम्न हैंं
लैंड रेवेन्यू 2,60,000 एक्साइज 1,30,000 जंगलात 2,02,000 फुटकर 78000 कुल 6,70,000
न्याय विभाग
इस वर्ष प्रयत्न किया गया है कि प्रत्येक अहलमंद और मुंसी के वेतन में यथोचित वृद्धि की जाए ।कलर्क की तनख्वाह ₹30 मासिक से कम नहीं रखी गई और रीडर ₹50 पाएंगे। इस वर्ष मैंने इजलास आलिया के भी दो भाग कर दिए हैं ...एक ज्यूडिशियल और दूसरा रैविन्यू.. ज्यूडिशियल विभाग में फौजदारी और दीवानी की समस्त अपीलेंं एक जज सुना करेंगे और मेरे नाम पर उनके फैसले सादिर होंगे ।रैविन्यु तथा अन्य अपीलेंं दरख्वास्त इत्यादि पहले की भांति इजलास आलिया के तहत होंगे ।
शासन
इस वर्ष एक फॉरेन सेक्रेट्री के अधीन परराष्ट्र विभाग बनाया गया है। नवीन भारत में कायम होने वाली सरकार इस बात का तकाजा करेगी कि देसी राज्य उससे पूरा पूरा सहयोग करें और यह तभी संभव है जब कि हमारा फॉरेन ऑफिस पूरे तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हो ...।
रैविन्यु
इस विभाग में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ। भाखड़ा बांध संबंधी भूमि की पैमाइश समाप्त हो चुकी है इसलिए सर्वे विभाग तोड़ दिया गया है ।
जंगलात
इस विभाग में गत वर्ष के मुकाबले जो बढ़ती हुई है वह वेतन वृद्धि के कारण हुई है। प्रत्येक गार्ड की तनख्वाह चौदह रुपये मासिक कर दी है ।मंहगाई का भत्ता इससे अलग होगा ।
पुलिस
मुझे खेद है कि अब तक भी यह विभाग इस लायक नहीं हुआ कि अच्छा कहलाने का दावा कर सके। इस वर्ष के लिए आला अफसरों के कैडर में 3 इंस्पेक्टरों की आसामिया तजवीज की गई है। जो पुलिस के जुदा-जुदा ग्रुपों को संभालेंगे और सब इंस्पेक्टरों से लेकर कांस्टेबलों तक के वेतन को और अच्छा कर दिया गया है और उन्हें अब ₹22 मासिक मिलेंगे।
इस मद की वृद्धि सिपाहियों के वेतन बढा़ने के कारण हुई है ।
शिक्षा विभाग
इस विभाग में गत वर्ष के मुकाबले में केवल 2सहस्र की बढ़ती हुई है क्योंकि हाईस्कूल की शिक्षा की रूपरेखा को जो गत वर्ष से ही बदलनी आरंभ हो गई थी इस वर्ष नए सांचे में डाल दिया गया है ।हमारा अनुमान है कि जूनियर बेसिक स्कूलों में 4000 के लगभग बालक है। सीनियर की तीनों श्रेणियों में 1000 से अधिक नहीं होगे। सीनियर बेसिक स्कूल एक रेजिडेंशियल स्कूल है और इसके सब छात्र बोर्डिंग में रहते हैं ....।देहाती स्कूलों के मास्टरों की तनख्वाह ₹36 मासिक तक हो जाएंगी...... पिछले वर्ष से हमने स्त्री शिक्षिकाओं को भर्ती आरंभ कर दी है और इस वर्ष के लिए कम से कम 6 स्त्रियों को अध्यापिकाओं के रूप में रखने का निश्चय हुआ है। स्वास्थ्य
गत वर्ष की अपेक्षा स्वास्थ्य विभाग में उन्नति हुई है।
3 नए लड़कों को डॉक्टरी कॉलेज में भर्ती करवाया जाएगा और अगर हो सके तो कुछ दाइयों को भी।
कृषि विभाग
पहाड़ी क्षेत्रों में सिंचाई के ना होने के कारण कृषि में हम बहुत अधिक उन्नति नहीं कर सकते ........।
पीडब्ल्यूडी
राज्य की 104 मील सड़कों में से तेतीस मील मोटरों के लायक हैं ।फिर भी हमें अन्य सड़कों को इस लायक तैयार करना है कि पहियों वाली गाड़ियां उन पर चल सके। हाल ही में एक मोटर नमोहल पहुंची तो आभास हुआ कि हमारी सड़कों की समस्या बहुत शीघ्र हल हो जाएगी.... स्वारघाट से बिलासपुर वाली सड़क को मोटर के लायक बनाना है ....।
बिलासपुर समाल टाऊन कमेटी
संवत 2003 में कमेटी की आय का अनुमान ₹24,300 और व्यय ₹23,200 रखा गया है.... इसमें म्यूंंसिपल जूनियर बेसिक स्कूल के लिए 4800 के बजाय अब ₹6000 व्यय होंगे और सड़कों तथा पुलों के लिए भी कोई साढे़ चार हजार की रकम रखी गई है.... बाकी व्यय की वृद्धि वेतन वृद्धि के कारण हुई है ....।
श्री नैना देवी जी मंदिर कमेटी
संवत 2003 के लिए आय का अनुमान ₹6800 और व्यय का ₹6100 लगाया गया है। उन्नति फंड में इस समय ₹3200 मौजूद हैंं और वर्ष के अंदर और ₹3000 आने की आशा है।
श्री नैना देवी जी कस्बा कमेटी
गत वर्ष इस कमेटी की आय 3900 और व्यय3700 रखा गया था ।परंतु आए 4100 हुई और व्यय 2600हुआ। संवत 2003 के लिए आय का अनुमान 6000 और व्यय का ₹6200 लगाया गया है ।
भाखड़ा डैम योजना और भूमि संबंधी विधान
इस बारे में मैं अभी इतना ही कहूंगा कि सर्वे द्वारा यह पता चला है कि राज्य में भाखड़ा डैम के नीचे आने वाली भूमि का क्षेत्रफल 18000 एकड़ है जिसमें 5000 एकड़ में फसल पैदा होती है ।इसमें 3100 घर हैं, जिनमें 6300 मनुष्य रहते हैं और उनके पास साढे़ सात हजार माल मवेशी हैं ।
जय कहलूर
१ली ज्येष्ठ सं.२००३वि.
गुरु जी ।
ReplyDeleteआप एक काम कर सकते है कि
BilaspurHistory ऐसा कोई domain address लेकर अपने ब्लॉग से जोड़ सकते हो।
आपको बहुत फायदा भी होगा sir
क्योंकि आप बहुत अच्छा लिखते हो।
और हमे भी बिलासपुर को जान ने का मौका मिलेगा।
Please make some arranarrangements for Bilaspur history website domain so that every person of Bilaspuri known their past.
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