BILASPUR STATE CONSTITUTIONAL ADVISORY COMMITTEE,S Report..1947

 1947 में जब भारत आजाद होने जा रहा था तो कहलूर रियासत के राजा आनंद चंद के मन में क्या चल रहा था? इसका अनुमान उनके 1946 के भाषण से लगाया जा सकता है  ।राजा ने जो कहलूर रियासत की कांस्टीट्यूशनल एडवाइजरी कमेटी बनाई थी।
 उसकी रिपोर्ट कमेटी के चेयरमैन बिशनदास ने दशहरा विक्रमी संवत 2004 यानी 1947 को राजा को सौंप दी थी ।कांस्टीट्यूशनल कमेटी मैं कुल 40 सदस्य थे जिनमें बिशन दास इसके चेयरमैन थे जो राजा के उस समय डेवलपमेंट मिनिस्टर थे ।रघुनाथपुर के मियां मानसिंह जागीरदार ,कमेटी के वाइस चेयरमैन थे। इस तरह इस कमेटी ने एक विस्तृत रिपोर्ट राजा को सौंपी थी। कमेटी के ठाकुर जगतपाल सैक्ट्री और पंडित दीनानाथ असिस्टेंट सैक्ट्री  थे।इस कमेटी की माइनारटीज व बैकवर्ड एरिया सब कमेटी भी बनाई गई थी जिसके मेंबर नवी बक्स खान मुस्लिम सदस्य ,लौंगू राम जुलाह हरिजन ,सरदार ज्वाला सिंह सिख सदस्य ,लाला गोविंद राम बैनकर व व्यापारी, मियां प्यार सिंह जैलदार तथा मियां थोला सिंह जैलदार शामिल थे। राजा को सौंपी इस कमेटी की रिपोर्ट के पेज नंबर 9 पर लिखा गया है कि यह कंस्टीटूशनल एडवाइजरी कमेटी 12 दिनों तक लगातार काम करती रही। तथा पांच बार इसकी बैठकें हुई। इस कमेटी ने विक्रमी संवत 2003 को राजा के उस भाषण के अंश भी प्रकाशित किए हैं जिसमें कहा गया है कि यह कहलूर रियासत पिछले 12 सौ सालों से अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं। इस राष्ट्र पर मुसलमानों और सिखों ने भी हमले किए लेकिन फिर भी वह सफल नहीं हो सके। मुगल शासन काल के समय भारत की जो 15 रियासतें थी, उनमें कहलूर भी शामिल थी ,जिसने कभी मुगलों को कर नहीं दिया। दरअसल राजा चाहता था कि यदि आजाद भारत में कुछ बड़ी रियास्तेंं अपना अस्तित्व अलग से रखती हैंं तो कहलूर रियासत भी अपना अस्तित्व अलग से बनाए रखेगी। हालांकि हम सब भारतीय हैं। इसके साथ ही राजा ने यह भी कहा था कि यह समय से पहले के प्रश्न है। विचार है ।बाद में क्या होता है यह अभी देखना है ।राजा को इस कमेटी ने जो संविधान का मसौदा सौंपा था, उसमें काफी विस्तृत अध्ययन किया गया था। कहलूर को मातृभूमि कहलूर कहा गया था। जो आपने बच्चों में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करती है। कहलूर की नागरिकता के विषय में कहा गया है कि हर वह व्यक्ति जो कहलूर या कहलूर के बाहर पैदा हुआ है तथा  जिसके पुरखे पिछले 30 सालों से यहां रह रहे हैं वह सब कह लूर के नागरिक माने जाएंगे। कहलूर में किसी भी नागरिक के प्रति कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। हर नागरिक को प्राईमरी तक की शिक्षा मुफ्त दी जाएगी। कहलूर राज्य में 14 साल से नीचे के किसी भी बालक से मजदूरी नहीं करवाई जाएगी। छुआछूत समाप्त होगी। किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। और  जात पात को लेकर भेदभाव  जुल्म होगा। कहलूर रियासत के 12 पर गनोंं में सर्कल के मुताबिक कमेटियां बनेंगी। यह लोगों द्वारा चुनी हुई कमेटियां होंगी। हर  परंगने की अपनी अलग चुनी हुई काउंसिल होगी। यह इलाके के विकास के काम करवाया करेगी। राजा ने चाहे बिलासपुर स्टेट कांस्टीट्यूशनल एडवाइजरी कमिटी गठित करके इसकी रिपोर्ट प्राप्त कर ली थी । इस रिपोर्ट में स्विजरलैंड, यू.एस.ए British Commonwealth ,Russia,MiddleEast,India and States का भी हवाला दिया गया है ।
अपने 1946 के भाषण में राजा आनंद चंद ने आखिर में एक लाइन में साफ कर दिया.... परंतु यह केवल सवाल हैं और समय आने पर आसानी से हल हो सकेंगे।
 वास्तव में कहलूर नरेश आनंद चंद को आजाद भारत में अपनी रियासत को मिलाने को लेकर वही विचार रात दिन घेरे हुए थे, जो अन्य रियासतों के राजाओं के मन में चल रहे थे ।लेकिन आनंद चंद को इस बात का फिक्र भी था कि  उसकी रियासत की राजधानी बिलासपुर और सैंकडों गांव भाखड़ा बांध बनने के कारण इसके जलाशय में डूब जाएंगे। इसलिए राजा दो मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा था ।यह उसके भाषण से भी स्पष्ट झलकता है।

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