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Showing posts from June, 2020

BILASPUR STATE CONSTITUTIONAL ADVISORY COMMITTEE,S Report..1947

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 1947 में जब भारत आजाद होने जा रहा था तो कहलूर रियासत के राजा आनंद चंद के मन में क्या चल रहा था? इसका अनुमान उनके 1946 के भाषण से लगाया जा सकता है  ।राजा ने जो कहलूर रियासत की कांस्टीट्यूशनल एडवाइजरी कमेटी बनाई थी।  उसकी रिपोर्ट कमेटी के चेयरमैन बिशनदास ने दशहरा विक्रमी संवत 2004 यानी 1947 को राजा को सौंप दी थी ।कांस्टीट्यूशनल कमेटी मैं कुल 40 सदस्य थे जिनमें बिशन दास इसके चेयरमैन थे जो राजा के उस समय डेवलपमेंट मिनिस्टर थे ।रघुनाथपुर के मियां मानसिंह जागीरदार ,कमेटी के वाइस चेयरमैन थे। इस तरह इस कमेटी ने एक विस्तृत रिपोर्ट राजा को सौंपी थी। कमेटी के ठाकुर जगतपाल सैक्ट्री और पंडित दीनानाथ असिस्टेंट सैक्ट्री  थे।इस कमेटी की माइनारटीज व बैकवर्ड एरिया सब कमेटी भी बनाई गई थी जिसके मेंबर नवी बक्स खान मुस्लिम सदस्य ,लौंगू राम जुलाह हरिजन ,सरदार ज्वाला सिंह सिख सदस्य ,लाला गोविंद राम बैनकर व व्यापारी, मियां प्यार सिंह जैलदार तथा मियां थोला सिंह जैलदार शामिल थे। राजा को सौंपी इस कमेटी की रिपोर्ट के पेज नंबर 9 पर लिखा गया है कि यह कंस्टीटूशनल एडवाइजरी कमेटी 12 दिनो...

प्रजामंडल वालों की बिलासपुर में थी एक... ऊ पार्टी..

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 कहलूर रियासत के अंतिम राजा आनंद चंद के खिलाफ वर्ष 1945 से प्रजामंडल के सदस्यों ने बगावती तेवर अपना लिए थे। गोविंद सागर झील में डूबे पुराने बिलासपुर शहर में प्रजामंडल के नेताओं ने अपने हमजोलियों के साथ एक टोला खड़ा कर लिया था जिसे.ऊ पार्टी .कहा जाता था। कई इसे ऊ डिपार्टमेंट भी कहते थे। इस ऊ पार्टी  या ऊ डिपार्टमेंट की कहीं कोई सदस्यता नहीं थी। कोई लिखित कार्यवाही नहीं होती थी ।लेकिन आपस में एक दूसरे को ऊपार्टी या ऊ डिपार्टमेंट के रूप में संबोधित करते थे ताकि कोई दूसरा राजा के कानों तक चुगली ना करदे। इस पार्टी में ज्यादातर लोग दौलत राम संख्यान के मित्र मंडली के थे।  वो अधिकतर रंगनाथ  मोहल्ला,  गोहर बाजार तथा  नाहरसिंह मंदिर के आसपास के रहने वाले थे । यह भी कमाल था कि पार्टी  के  इन सदस्यों का नाम पीछे से अधिकतर ऊ से समाप्त होता था। जैसे गिलडू, मस्तु , प्रीतू, रामू ,रिंडकू,  टांंटू, पूहमूू  हुआ करता था। दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी व पूर्व मंत्री दौलतराम सांंख्यान ने एक बार अनौपचारिक बातचीत में इस लेखक को बताया था कि उन...

राजा आनंद चंद ने किए बिलासपुर में कई नाटक निर्देशित हाथी-थान में बनाई गई थी रंगशाला

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कहलूर रियासत के अंतिम राजा आनंद चंद बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे ।वे अजमेर  के म्यो कालेज में पढे़ हुए थे ।तथा अखिल भारतीय नरेंद्र मंडल के सचिव भी थे।  उन्होंने अपने समय में गोविंद सागर झील में डूबे पुराने बिलासपुर शहर में कई ऐतिहासिक सामाजिक नाटकों का मंचीकरण करवाया था ।इसके लिए उन्होंने कहलूर रियासत के उस हाथी थान को रंगशाला में बदला था, जिस हाथी थान में कभी राजाओं के हाथी बंधा करते थे या रखे जाते थे ।राजा आनंद चंद ने वहां पर रंगशाला बनवाई ।यही रंगशाला बाद में सिनेमा हॉल में परिवर्तित हो गई थी ।जिसका नाम कहलूर टॉकीज रखा गया था ।हां, तो राजा ने नाटकों के मंचीकरण के लिए बिलासपुर में कहलूर कल्चरल लीग नाम की एक संस्था भी बनवाई थी ,जो नाटकों की ट्रेनिंग देती थी ।शक्ति सिंह चंदेल अपनी पुस्तक कहलूर  थ्ररु दा सेंचरीज़ में लिखते हैं कि राजा आनंद चंद के समय हर स्कूल का रियासत काल में अपना एक ड्रामा ग्रुप होता था। हर स्कूल अपने अपने नाटक का मंचीकरण करता था ।राजा की तरफ से पुरस्कार भी दिए जाते थे। 1938 .39 में राजा ने जब अपने नए महल का उद्घाटन करना था, तो उस समय मंडी के रा...